डबल मार्कर टेस्ट/ Double Marker test in Hindi एक गर्भावस्था टेस्ट है जो भ्रूण में किसी भी क्रोमोसोमल असामान्यता का पता लगाने के लिए पहली तिमाही के दौरान किया जाता है। डबल मार्कर टेस्ट की लागत 1,200 से 4000 रुपये के बीच होती है। आपको LabsAdvisor.com के द्वारा इस आर्टिकल में डबल मार्कर टेस्ट की पूरी जानकारी मिलेगी। अभी इस टेस्ट को अभी बुक करने के लिए कॉल करें :
डबल मार्कर टेस्ट क़ीमत/ डबल मार्कर टेस्ट price/ Dual Marker Test in Hindi
लैब और शहर के आधार पर डबल मार्कर परीक्षण की लागत ₹1200 से ₹4000 के बीच है। नीचे दी गई तालिका में आप दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बैंगलोर और हैदराबाद में डबल मार्कर टेस्ट की लागत देख सकते है।
सूचना: नीचे दी गई डबल मार्कर टेस्ट/ Double Marker test in Hindi की कीमत सिर्फ जानकारी के लिए है और नवीनतम कीमत इससे अलग हो सकती है। इसलिये नवीनतम कीमतों और लैब्स की जानकारी के लिए कृपया अपने शहर पर क्लिक करें। ऑनलाइन बुक करने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें। और भारत के विभिन्न शहरों में डबल मार्कर टेस्ट की कीमत जानने के लिए क्लिक करें।
डबल मार्कर टेस्ट/ Double Marker test in Hindi | LabsAdvisor में Double Marker टेस्ट की कीमत |
दिल्ली में डबल मार्कर टेस्ट की कीमत | ₹1425 |
नोएडा में डबल मार्कर टेस्ट की कीमत | ₹1425 |
गुड़गांव में डबल मार्कर टेस्ट की कीमत | ₹1320 |
मुंबई में डबल मार्कर टेस्ट की कीमत | ₹1460 |
चेन्नई में डबल मार्कर टेस्ट की कीमत | ₹1200 |
हैदराबाद में डबल मार्कर टेस्ट की कीमत | ₹1200 |
बैंगलोर में डबल मार्कर टेस्ट की कीमत | ₹1200 |
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इस लेख के अंतर्गत निम्न विषयों को शामिल किया गया है, जिन्हें आप स्वतंत्र रूप से पढ़ सकते हैं। जिनकी सूची नीचे दी गई है :
- डबल मार्कर टेस्ट क्या है? What is Double Marker test in Hindi?
- डबल मार्कर टेस्ट क्यों किया जाता है?
- डबल मार्कर टेस्ट के पीछे का विज्ञान
- डबल मार्कर टेस्ट कैसे किया जाता है?
- डबल मार्कर टेस्ट के ख़तरे और दुष्प्रभाव क्या हैं?
- डबल मार्कर टेस्ट के परिणाम की व्याख्या कैसे की जाती है?
- डबल मार्कर टेस्ट की सटीकता।
- भारत में डबल मार्कर टेस्ट कैसे बुक कर सकते हैं?
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डबल मार्कर टेस्ट क्या है? / Double Marker Test in Hindi
डबल मार्कर टेस्ट/ Double Marker test in Hindi प्रसव पूर्व किया जाने वाला स्क्रीनिंग टेस्ट है जो गर्भावस्था के पहले तिमाही में किया जाता है। यह आपके भ्रूण में होने वाले क्रोमोसोमल विषमता की संभावना का आकलन करने के लिए किया जाता है। यह इस बात का भी पता लगाने में मदद करता है कि आपके होने वाले बच्चे को डाउन सिंड्रोम या trisomy18 जैसी कोई बीमारी तो नही है जो मूल रूप से क्रोमोसोमल विकारों से होती हैं। यह विकार बच्चे में गंभीर मानसिक दोषों को जन्म दे सकता है और कभी कभी मृत प्रसव भी हो सकता है।
डबल मार्कर टेस्ट क्यों किया जाता है? / Dual marker test in pregnancy in Hindi
डबल मार्कर टेस्ट/ Double Marker test in Hindi एक महत्वपूर्ण टेस्ट है। जो हमें इस बात का आश्वासन देने में मदद करता है कि होने वाला बच्चा स्वस्थ रूप से बढ़ रहा है। Double Marker टेस्ट बच्चे में Down’s Syndrome और Trisomy 18 से होने वाले खतरों का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है।
- डाउन सिंड्रोम: डाउन सिंड्रोम को Trisomy 21 के रूप में भी जाना जाता है। यह टेस्ट गर्भवती महिला के खून से किया जाने वाला खून का /ब्लड टेस्ट है। जिसकी मदद से हम अजन्में बच्चे में डाउन सिंड्रोम का आसानी से पता लगा सकते है। दूसरी और विशेषग्यों का मानना है कि गर्भपात के मामलों में बढ़ोतरी होने से यह बहुत ही विवादास्पद हो सकता है। डाउन सिंड्रोम एक आनुवांशिक विसंगति है जो बच्चे के सामान्य शारीरिक विकास को प्रभावित करता है। यह बीमारी बच्चे के गर्भ में रहने के दौरान ही बन जाती है और इससे ग्रस्त करीब 15% बच्चे पहले साल के अंदर ही मौत का शिकार बन जाते हैं। सान दिआगो स्थित एक स्वास्थ्य रक्षक फर्म के रिसर्चर्स के अनुसार इस जाँच का एक आसान तरीका निकाला गया है, जिससे गर्भ में पल रहे बच्चे का इस विसंगति से ग्रस्त होने का सटीक पता लग सकता है। डाउन सिंड्रोम के साथ निम्नलिखित विशेषताएं हो सकती हैं:
- असामान्य चेहरे की विशेषताएं, तिरछी आँखें और छोटे कान
- विलंबित विकास और बौद्धिक परेशानी का होना।
- सुनवाई और दृष्टि समस्या
- दोरे पड़ने
- फेफड़ों के उच्च रक्तचाप के खतरे का बढ़ना और दिल की बीमारी का होना।
- कम मांसपेशियों टोन
- थायरॉयड समस्याएं
- महिलाओं की उच्चतर उम्र से उसके होने वाले बच्चे में डाउन सिंड्रोम के होने की संभावना रहती है। इसलिए 35 साल की उम्र से अधिक गर्भवती महिलाओं को निश्चित रूप से Double Marker टेस्ट ज़रूर करवाना चाहिए।
- Trisomy 18: Trisomy 18 भी Edwards Syndrome के रूप में जाना जाता है। भ्रूण डीएनए में क्रोमोसोम 18 की अन्य कॉपी इस गंभीर बीमारी का कारण बनती है। एडवर्ड्स सिंड्रोम के साथ पैदा हुए बच्चे अधिकांश अपनी प्रारंभिक अवस्था में ही मर जाते हैं। लगभग जो बच्चे जीवित रहते हैं वह गंभीर रूप से मानसिक विकलांग के साथ रहते हैं। एडवर्ड्स सिंड्रोम का कोई इलाज नहीं है और लक्षणों का प्रबंधन करना मुश्किल हो जाता है। एडवर्ड्स सिंड्रोम के साथ बच्चे को नियमित रूप से संक्रमण और हृदय की समस्याओं के लिए निरीक्षण किया जा रहा है।
डाउन सिंड्रोम की तरह, बच्चों का एडवर्ड्स सिंड्रोम के साथ पैदा होने की संभावना महिलाओं की उम्र के साथ बढ़ जाती है। इसलिए गर्भावस्था को जारी रखने के लिए वृद्व महिलाओं को ख़तरों की पहचान करने के लिए डबल मार्कर स्क्रीनिंग के लिए ज़रूर जाना चाहिए। यह टेस्ट ज़्यादातर उन महिलाओं को करवाने के लिए सिफारिश किया गया है, जो :
- जो महिलाएं 35 साल की उम्र से बड़ी होती हैं।
- जन्म दोष का कोई पारिवारिक इतिहास हो।
- मधुमेह हो।
- उच्च स्तर की विकिरण का प्रदर्शन किया हो।
- गर्भावस्था के दौरान वायरल संक्रमण हुआ हो।
- जिन महिलाओं को उपरोक्त में से कोई भी समस्या नही है लेकिन वह तब भी खतरों का आकलन और परिणाम स्वरूप तैयारी करने के लिए Double-Marker टेस्ट चुन सकती हैं।
डबल मार्कर टेस्ट /Double Marker Test के पीछे का विज्ञान
डबल मार्कर टेस्ट/ Double Marker test एक सरल मातृ रक्त परीक्षण है। यह रक्त में दो विशिष्ट पदार्थों के स्तर की जाँच करता है। ये दोनों रक्त मार्कर फ्री बीटा एचसीजी और PAPP- A हैं।
- फ्री बीटा एचसीजी: Free Beta HCG (Human Chorionic Gonadotropin) एक हार्मोन है जो भ्रूण आरोपण के बाद नाल द्वारा जारी किया जाता है। यह हार्मोन आपके गर्भावस्थ बच्चे के विकास में मदद करता है। एचसीजी का स्तर पहली तिमाही के दौरान तेजी से ऊपर जाता है। मासिक अवधि के 14 वें हफ्ते के आसपास स्तर अधिक हो जाता है और फिर धीरे-धीरे नीचे होता जाता हैं। आपके रक्त में एचसीजी की राशि आपकी गर्भावस्था और आपके बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देता है। प्रसव के बाद कोई एचसीजी नही पाया जाता है। सिंगल गर्भावस्था की तुलना में एकाधिक गर्भावस्था के मामलों में अधिक एचसीजी जारी किए जाते हैं। अगर भ्रूण गर्भाशय के अलावा अन्य जगह पर स्थित होता है, तब एचसीजी की कम राशि जारी होती है, उदाहरण के लिए अस्थानिक गर्भावस्था (Ectopic Pregnancy)। अगर आप गर्भवती हैं और आपका एचसीजी का स्तर असामान्य रूप से नीचे जा रहा हैं, तो गर्भपात होने की संभावना रहती है।
- PAPP- A: (Pregnancy Associated plasma protein A)एक प्रोटीन है , जो भ्रूण और नाल द्वारा उत्पादित किया जाता है। PAPP- A का निम्न स्तर डाउन सिंड्रोम के साथ जुड़ा हो सकता है। निम्न स्तर बच्चे के जन्म के समय कम वजन और जल्दी प्रसव के साथ भी जुड़ा हो सकता है। अगर PAPP-A कम पाया जाता है तो बच्चे के विकास की जांच करने के लिए अतिरिक्त स्कैन किया जाना चाहिए। PAPP- A का बढ़ा स्तर Trisomy 21 के ख़तरे के बढ़ने की और संकेत करता है। PAPP- A का कम स्तर trisomy 18 की वृद्धि की संभावना के साथ जुड़ा हैं। अगर पहली तिमाही में PAPP-A का स्तर 0.4 MOM से कम हो तो गर्भाशय के विकास में प्रतिबंध, समय से पहले प्रसव और स्थिर जन्म जैसे प्रतिकूल परिणामों का ख़तरा हो सकता है।
Test | Down’s Syndrome | Trisomy 18 |
HCG | High | Low |
PAPP-A | Low | Low |
डबल मार्कर टेस्ट कैसे किया जाता है ?
डबल मार्कर टेस्ट एक सरल मातृ सीरम टेस्ट है। इस टेस्ट के लिए किसी भी विशेष तैयारी की जरूरत नहीं है। आप टेस्ट से पहले सामान्य रूप से खा या पी सकते हैं।
एक इलास्टिक बैंड अपने बांह के ऊपर चारों ओर लिपटा जाता है। आपके हाथ में जहाँ सुई इंजेक्ट की जायगी उसे एक विशेष प्रकार के जेल से साफ़ किया जाता है। सुई के साथ एक ट्यूब जुडी होती है जिसमे रक्त लिया जाता है। रक्त की प्राप्त मात्रा निकालने के बाद सुई वापस निकाल ली जाती है। रक्तस्राव को रोकने के लिए bandage लगा दी जाती है। इस पूरी प्रक्रिया में कुछ मिनट का समय लगता है, और टेस्ट के परिणाम 2 से 3 दिन में आ जाते हैं।
डबल मार्कर टेस्ट/ Double Marker के ख़तरे और दुष्प्रभाव क्या हैं?
- Double Marker टेस्ट मां के रक्त से किया जाने वाला परीक्षण है जिसके कारण उनके भ्रूण को कोई ख़तरा नही होता है। इससे गर्भपात या अन्य गर्भावस्था संबंधी जटिलताओं का कोई खतरा नहीं है।
- इंजेक्शन वाली जगह पर छोटी सी खरोंच आ सकती है।
- बहुत कम मामलों में, नस में सूजन हो सकती है। जिसे दिन में एक दो बार सिकाई करके सही कर सकते है।
- अगर आप रक्तस्राव या थक्के जैसी समस्या से पीड़ित हैं या एस्पिरिन की तरह रक्त पतला करने की दवा लेते हैं, तो खून का नमूना लेने से पहले अपने डॉक्टर को ज़रूर बताएं।
डबल मार्कर टेस्ट रिपोर्ट/ Double Marker के परिणाम की व्याख्या कैसे की जाती है?
एक गणितीय गणना में इन पदार्थों (एचसीजी और PAPP-ए) के स्तर को शामिल करने और मातृ उम्र के विचारों, परिवार का इतिहास, शरीर का वजन, जाति और मधुमेह की स्थिति, यह सब भ्रूण में डाउन सिंड्रोम और एडवर्ड्स सिंड्रोम के ख़तरे का मूल्यांकन करने के लिए इस्तेमाल होता है। इन खतरों का स्थापित कट ऑफ के साथ तुलना की जाती है। अगर ख़तरे का स्तर कट-ऑफ की तुलना में अधिक है, तो यह एक सकारात्मक स्क्रीनिंग टेस्ट माना जाता है।
एक सकारात्मक स्क्रीन टेस्ट का मतलब भ्रूण में क्रोमोसोमल विकार का सामान्य से अधिक होने की संभावना से है। आपके डॉक्टर आगे के उपचार के लिए सीवीएस या amniocentesis जैसे टेस्ट को करवाने के लिए सिफारिश करेंगें। CVS टेस्ट, गर्भ के पहली तिमाही में 10 से 13 सप्ताह में किया जाता है। जबकि amniocentesis गर्भ के 15 वें सप्ताह से शुरू किया जा सकता है।
आपको (NIPT or Harmony testing) जैसे नए रक्त जांच की सलाह दी जा सकती है है जो कि महिला के खून में भ्रूण डीएनए का मूल्यांकन करता है और डॉक्टरों को क्रोमोसोमल की असामान्यताओं के बारे में संकेत दे सकता है।
सकारात्मक स्क्रीन टेस्ट आने से जरूरी नहीं है कि बच्चा जन्म दोष के साथ पैदा हो।
अगर ख़तरा कट ऑफ से कम है, तो स्क्रीन का परिणाम नकारात्मक है। आपको आगे के नैदानिक परीक्षण के लिए जाने की जरूरत नहीं है।
Double Marker/डबल मार्कर की सटीकता
टेस्ट की सटीकता अलग अलग लैब की भिन्न होती है। इस टेस्ट के 100 में से 69 मामलों में सही ढंग से डाउन सिंड्रोम का पता लगता है। जब यह टेस्ट अल्ट्रासाउंड के साथ होता है तब इसकी सटीकता 79% तक बढ़ जाती है। इसका मतलब है कि टेस्ट के 100 मामलों में से 21 मामलों की स्तिथि का पता लगाने के लिए किया जाता है। यहाँ गलत सकारात्मक होने का भी एक मौका है जैसे दोष के उच्च खतरे के परिणाम दिखेंगे, जबकि बच्चा पूरी तरह से सामान्य होगा। यह अनावश्यक तनाव और आगे की जांच के लिए नेतृत्व कर सकता हैं।
भारत में डबल मार्कर/ Double Marker test कैसे बुक कर सकते हैं ?
अपने आसपास की लैब में Double Marker/डबल मार्कर टेस्ट किफायती दाम में बुक करने के लिए आप LabsAdvisor.com को ☎ +918061970525 पर कॉल या WhatsApp कर सकते हैं। टेस्ट के बारे में और जानने के लिए नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके फॉर्म में अपना नाम और मोबाइल न. लिखें :
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