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दिल्ली में चिकनगुनिया के टेस्ट की कीमत/ Cost of Chikungunya Test in Delhi/ NCR
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इस गाइड में हमनें चिकुनगुनिया से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी लिखी है। नीचे इस आर्टिकल की विषय सूची है :
- चिकनगुनिया क्या है? / चिकनगुनिया बीमारी / What is Chikungunya?
- चिकनगुनिया का इतिहास (History of Chikungunya)
- चिकनगुनिया के लक्षण (Symptoms of Chikungunya)
- चिकनगुनिया के बचाव एवं उपचार / चिकनगुनिया के घरेलू उपचार
- चिकनगुनिया में निर्धारित टेस्ट / चिकनगुनिया का इलाज / चिकनगुनिया परीक्षण
- दिल्ली में चिकनगुनिया के टेस्ट की कीमत / Cost of Chikungunya Test in Delhi / NCR
- चिकनगुनिया टेस्ट को कैसे बुक करेंगे ?/ How to book Chikungunya Test
चिकनगुनिया क्या है?/ चिकनगुनिया बीमारी/ What is Chikungunya?
चिकनगुनिया एक वायरल बुखार है। एडीज एजिप्टी नाम के मच्छर, जिसको पीले बुखार का मच्छर भी कहते हैं, के काटने से ये वायरस हमारे शरीर में घुस जाता है। चिकनगुनिया बीमारी सीधे एक मनुष्य से दुसरे मनुष्य में नहीं फैलती लेकिन एक बीमार व्यक्ति को एडीज मच्छर के काटने के बाद फिर स्वस्थ व्यक्ति को काटने से फैलती है। जब चिकनगुनिया का वायरस मनुष्यों के शरीर में प्रवेश करता है, तो मनुष्य बुखार, खांसी, जुकाम, बदन में दर्द और जोड़ों में दर्द से पीड़ित हो जाता है। यह वायरस उसी प्रकार की बीमारी पैदा करता है, जिस प्रकार की स्थिति डेंगू रोग में होती है। वैसे मच्छर देखने में छोटा लगता है, लेकिन इसके काटने से गंभीर और खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं। हालाँकि चिकनगुनिया बुखार जानलेवा नहीं होता है। अभी कुछ समय पहले एक और प्रजाति के मच्छर से ये बुखार होने लगा है और सामान्यतः ये मच्छर दिन में ही काटता है इसलिए दिन में काटने वाले मच्छर से बचकर रहना चाहिए।
चिकनगुनिया का इतिहास (History of Chikungunya)
सबसे पहले चिकनगुनिया की शुरुआत 1952 में अफ्रीका में तंज़ानिया और मोजाम्बिक के आस पास हुई थी। चिकनगुनिया बीमारी अक्सर गरम देशों में पायी जाती है, अधिकतर एशिया और अफ्रीका के देशों में ये बीमारी होती रही है। पिछले कुछ सालों में चिकनगुनिया बुखार यूरोप के कुछ देशों में भी पाया गया है। चिकनगुनिया बीमारी को अफ्रीकन भाषा से लिया गया है, जिसका मतलब होता है “वो जो झुका दे”। ये नाम इसलिए पड़ा क्योंकि जोड़ों में अधिक दर्द की वजह से चिकनगुनिया के मरीज झुक कर चलने लगते हैं और यह दर्द काफी लम्बे समय तक रहता है, जिसे पूरी तरह से स्वस्थ होने में महीनों का समय लग जाता है। एक अच्छी बात ये है कि चिकनगुनिया एक बार हो जाने पर जीवन में दुबारा होने की संभावना लगभग ना के बराबर होती है और मरीज को जीवन भर के लिए इस रोग से मुक्ति मिल जाती है।
चिकनगुनिया के लक्षण (Symptoms of Chikungunya)
मच्छर के काटने के 2 से 5 दिन के बाद चिकनगुनिया के लक्षण उभरने लगते है। चिकनगुनिया के लक्षण निम्न है :-
- 1-3 दिन तक बुखार रहना, जोड़ों में दर्द और सूजन पड़ जाना
- ठंड और कंपकपी के साथ तेज़ बुखार चढ़ना
- त्वचा का खुश्क पड़ना
- सिर दर्द होना
- उल्टी होना
- आँखों मे दर्द होना
- नींद ना आना
- भूख कम लगना
- जी मिचलाने
- हाथों एवं पैरों पे चकते पड़ना
- कुछ लोगों के मसूड़ों और नाक से खून का निकलना
आमतौर पर ये लक्षण 5 से 7 दिन तक रहते हैं। लेकिन रोगी को जोड़ों में दर्द लंबे समय तक रहता है। इस रोग से कुछ लोग ज़्यादा प्रभावित हो सकते हैं जैसे कि नवजात शिशु, बूढ़े लोग जिनकी उम्र 65 साल या अधिक है और ऐसे लोग जिनको डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या दिल की बीमारी हो, उन लोगों के लिए चिकनगुनिया की परेशानी बढ़ भी सकती है। इस प्रकार के लोगों को चिकनगुनिया के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए और पूरी सावधानी से उपचार करना चाहिए।
चिकनगुनिया के बचाव एवं उपचार/ चिकनगुनिया के घरेलू उपचार/ Treatment of Chikungunya/ Prevention of Chikungunya
चिकनगुनिया होने पर डॉक्टर की सलाह लेना सबसे जरूरी है। वैसे इस बीमारी से बचाव के कुछ घरेलू उपचार भी हो सकते हैं क्यूंकि इस बीमारी को ठीक करने की दवाई तो ज़्यादा नहीं है, बस लक्षणों को कम किया जा सकता है और समय जितना लगना है वो तो लगता ही है। डॉक्टर की सलाह और बताई हुई दवाओं के साथ चिकनगुनिया से पीड़ित रोगी को निम्न उपाय अपनाने चाहिए:
- ज्यादा से ज्यादा गुनगुना पानी पीएं, जिससे आपका इम्यून पॉवर मजबूत रहे।
- दूध- दही या अन्य चीजों का सेवन करें।
- रोगी को नीम के पत्तों का रस निकालकर दें।
- रोगी के कपड़ों एवं बिस्तर की साफ-सफाई पर ध्यान दें।
- पपीता व करेला अधिक से अधिक खाएं।
- अपने घर के अंदर और आस-पास हमेशा सफाई रखें।
- घरों या अपने आसपास की जगह में पानी जमा न होने दें।
- घरों में कूलर को समय – समय पर साफ करें। अगर ऐसा न हो पाए, तो आप सप्ताह में एक बार पेट्रोल डाल सकते हैं।
- सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।
- पूरे कपड़े पहने और हमेशा अपने आप को ढ़ककर घर से निकलें।
- बाहर का खुला खाना या पानी पीने से बचें।
- शाम होते ही खिड़की-दरवाजों को बंद रखें, ताकि मच्छर घर में प्रवेश ना कर पायें।
चिकनगुनिया से बचने के लिए अभी तक कोई टीका यानि वैक्सीन नहीं बना है, जो बीमारी होने के पहले ही लगा दिया जाए और यह बीमारी हो ही ना। किसी को ये रोग हो जाने पर उसके साथ रहने वाले लोगों को ये रोग होने की संभावना बढ़ जाती है, अगर कोई मच्छर रोगी व्यक्ति को काटने के बाद किसी स्वस्थ व्यक्ति को काट ले। इसलिए अगर आप के आस पास या घर में कोई चिकनगुनिया का रोगी हो तो मच्छर से बचाव का ख़ास ध्यान रखें, खासकर दिन के समय।
चिकनगुनिया में निर्धारित टेस्ट / चिकनगुनिया का इलाज / चिकनगुनिया परीक्षण / Chikungunya Tests / Chikungunya Diagnosis
चिकनगुनिया की जांच के लिए 4 तरह के टेस्ट किये जाते हैं और कौन सा टेस्ट कब कराना चाहिए ये इस बात पर निर्भर करता है कि टेस्ट कब कराया जा रहा है:
- जीनोमिक टेस्ट पीसीआर (PCR) विधि
- एंटीबाडीज की जांच (IGM और IGG एंटीबाडीज)
- वायरस को अलग करना
- Complete Blood Count (CBC) Test
- जीनोमिक टेस्ट पीसीआर विधि / Chikungunya by PCR Test (Polymerase Chain Reaction)-चिकनगुनिया बुखार के लक्षण दिखने के एक सप्ताह के अन्दर टेस्ट कराया जाये तो PCR विधि से जीनोमिक टेस्ट करा सकते हैं। ये टेस्ट चिकनगुनिया के लिए पक्की जानकारी दे सकता है। लेकिन जीनोमिक टेस्ट बहुत कम लैब्स में हो पाता है और बाकी के मुकाबले इसकी कीमत भी ज़्यादा होती है। बुखार की शुरुआत के एक सप्ताह बाद ये टेस्ट कराना ठीक नहीं रहता है क्यूंकि एक हफ्ते बाद वायरस के DNA को पकड़ना और पहचान पाना बहुत मुश्किल हो जाता है।
- एंटीबाडीज की जांच / Chikungunya IGG & IGM– चिकनगुनिया बुखार होने पर हमारे शरीर में इस वायरस से लड़ने के लिए एंटीबाडीज बनने लगती हैं। चिकनगुनिया बीमारी के शुरू होने के लगभग 7-8 दिन बाद शरीर में IgM एंटीबाडीज बनने लगती हैं और उसके 4-5 दिन बाद IGG एंटीबाडीज बनने लगती हैं। इसीलिए टेस्ट चिकनगुनिया के लक्षण दिखने के कितने दिन बाद किया जा रहा है ये समझना जरुरी है और उसी के अनुसार इन टेस्ट के परिणाम को समझना चाहिए । IGM एंटीबाडीज शरीर में लम्बे समय तक, अक्सर कई महीनो तक रहते हैं। इन एंटीबाडीज की जांच करके आमतौर पर चिकनगुनिया के लिए टेस्ट किये जाते हैं और इनको दो तरीके से किया जाता है – i) इम्युनोलॉजी और ii) ELISA विधि से।
- i) इम्युनोलॉजी या इम्यूनो एस्से के द्वारा टेस्ट करना आसान, सस्ता और कम समय लेने वाला तरीका है। लेकिन इनको समझने के लिए अनुभवी लोग चाहिए, जो टेस्ट से सही जांच की रिपोर्ट बना सके, क्यूंकि इस टेस्ट से एंटीबाडीज की जांच पूरी तरह से नहीं की जा सकती है और इसके लिए विशेष मशीन और अनुभवी लोग चाहिए।
- ii) ELISA विधि से IGM और IGG दोनों तरह के एंटीबाडीज की पक्की जांच की जा सकती है, लेकिन इस विधि के लिए सैंपल में खून की मात्रा थोड़ी ज़्यादा लगती है और टेस्ट पूरा करने के लिए समय भी ज़्यादा लगता है, कभी कभी 1-2 दिन भी लग जातें हैं।
- वायरस को अलग करना / Virus Isolation– ये विधि इस बीमारी की जांच के लिए परिणाम की गुणवत्ता के हिसाब से सबसे अच्छी विधि मानी जाती है। ये टेस्ट चिकनगुनिया बुखार होने के एक हफ्ते के अन्दर ही किया जा सकता है, जब वायरस के शरीर में होने की संभावना अच्छी रहती है, उसके बाद नहीं। लेकिन ये विधि ज़्यादा लोकप्रिय नहीं है क्यूंकि ये थोड़ी मुश्किल विधि है और इसमें समय भी ज्यादा लगता है। इस विधि में टेस्ट का परिणाम कई बातों से प्रभावित होता है, जैसे कि सैंपल लेने का समय, सैंपल लाने की व्यवस्था, सैंपल लाते समय तापमान को बराबर सही रखना और सैंपल को सही ढंग से स्टोर करके सही विधि से टेस्ट करना। इसीलिए भारत में ये विधि ज़्यादा लोकप्रिय नहीं है।
- Complete Blood Count (CBC) Test –यह टेस्ट खून में सफ़ेद रक्त कण (White Blood Cells) और Platelet Count की कमी आने पर किया जाता है, जिससे चिकनगुनिया के होने की आशंका का पता चल जाता है। शरीर में चिकनगुनिया वायरस आने पर हमारे खून का सामान्य मिक्स बदलने लगता है इसलिए चिकनगुनिया की शुरूआती जांच के लिए इस टेस्ट का इस्तेमाल किया जाता है।
चिकनगुनिया की जाँच कराने से पहले अपने डॉक्टर की राय अवश्य लें।
चिकनगुनिया टेस्ट को कैसे बुक करेंगे ?/ How to book Chikungunya Test
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